गांधी परिवार का मंदिर दर्शन बहुत बड़ा राजनैतिक स्टंट
2014 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद विधानसभा चुनावों में एक के बाद एक मिली कई पराजयों के बाद कांग्रेस व गांधी परिवार को अपनी रणनीति बदलने पर विवश होना पड़ा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी में काफी विचार विमर्श के बाद उदार हिंदुत्व का चेहरा बनने के लिए मंदिर-मंदिर जाने का नया प्रयोग शुरू कर दिया है। राहुल गांधी ने यह प्रयोग पीएम नरेंद्र मोदी की रणनीति से सीखा है। उन्होंने अपने प्रयोग को आगे बढ़ाया और अपने आपको जनेऊधारी ब्राहमण तक कहलाने लगे। राहुल गांधी ने अपना प्रयोग सबसे पहले गुजरात में अपनाया जहां उनको आंशिक सफलता मिली थी तथा विधानसभा चुनावों में कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। फिर वह कर्नाटक के मंदिरों में भी गये। वहां पर उन्हें सफलता तो मिली लेकिन बीजेपी से पीछे ही रह गये थे। बाद में राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश में जरूर सरकार बनाने में सफलता हासिल कर ली। लेकिन यहां पर कांग्रेस की सफलता का सबसे बड़ा कारण स्थानीय स्तर पर सत्तारूढ़ दलों के खिलाफ नाराजगी व किसानों की कर्जमाफी का वादा सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था। इन राज्यों में कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेतृत्व ने सवर्ण मतदाता की नाराजगी का लाभ उठाकर सफलता हासिल की थी। लेकिन पुलवामा की घटना एयरस्ट्राइक व अंतरिक्ष स्ट्राइक के बाद देश के वातावरण मेें काफी बदलाव आया है तथा विरोधी दलों की ओर से सबूत मांगने के कारण जनमानस व सेना के परिवारों में काफी नाराजगी का वातावरण है।
अब राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी को जब से पुूर्वी उप्र का प्रभारी महासचिव बनाकर भेजा गया है तब से वह भी उदार हिंदुत्व की राजनीति कर रही हैं। इन लोगों की यह उदार हिंदुत्व की राजनीति एक बहुत बड़ा राजनैतिक स्टंट है। आजकल टीवी चैनलों व सोशल मीडिया के युग में किसी भी प्रकार के झूठ का प्रचार-प्रसार करना बहुत आसान हो गया है। गांधी परिवार मंदिर जाकर हिंदुत्व और हिंदू जनमानस का घोर अपमान कर रहा है। इस परिवार के मन में हिंदू जनमानस के प्रति नफरत की आग जल रही हेै। यह आग उनके मन से निकलती भी रहती है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह, शशि थरूर, पी चिदम्बरम, पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे सरीखे नेताओं ने हिंदू धर्म के प्रति कितने अपमानजनक बयान दिये हैं। अब वे बयान हिंदू जनमानस को एक बार फिर याद कर लेने चाहिए। हिंदू जनमानस को यह नहीं भूलना चाहिए कि समझौता ब्लास्ट केस की थ्योरी को कांग्र्रेस ने ही बदला था और हिंदू आतंकवाद का झूठा अभियान कांग्रेस की ही देन था। फिर यह अभियान नरम और गरम हिंदुत्व से होता हुआ अच्छे और बुरे हिंदू तक पहुंच गया।
अब राहुल गांधी का कहना है कि हिंदुत्व किसी की जागीर नहीं है। हिंदू धर्म किसी से छीना नहीं जा सकता। इस पर सबका अधिकार है। हिंदू धर्म इतना बड़ा है कि इसका कोई मालिक नहीं हो सकता। आगे वह कहते हैं हिंदू धर्म में निर्मलता ही निर्मलता है। अब यहां पर राहुल गांधी को कुछ लोग अति विद्वान भी कह सकते है और महामूर्ख भी। राहुल गांधी ने हिंदू और मंदिर पर कई ओैर टिप्पणियां की हैं जिनका यहां पर संज्ञान लिया जाना बेहद आवश्यक है। यह बात सभी को याद रखनी चाहिए कि राहुल गांधी यह भी बयान दे चुके हैं कि मैं किसी भी प्रकार के हिंदुत्व पर विश्वास नहीं रखता। यह वही राहुल गांधी है जिन्होंने कभी कहा था कि लोग मंदिरों में लड़कियों को छेड़ने के लिए जाते हैं।
हिंदू आतंकवाद शब्द का प्रयोग करने वाले इस बहुरूपिये गांधी परिवार ने अब जबकि झूठ पर आधारित हिंदू आतंकवाद की थ्योरी जब कोर्ट में रद्द हो गयी है तब से अपने परिवार को जेल जाने से बचाने के लिए हिंदू धर्म और मंदिर के प्रति गजब का समर्पण का भाव दिखाने लग गये हैं। गांधी परिवार का मंदिर-मंदिर जाना हिंदुओं की सामाजिक चेतना और राजनैतिक इच्छाशक्ति का ही परिणाम हेै कि यह पूर्णरूप से नकली हिंदू अब अपने आपको असली हिंदू साबित करने में जुट गये हैं। अब यही लोग कहने लग गये हैं कि राम मंदिर तो हमारे ही शासनकाल में बनेगा। अगर कांग्रेस व गांधी परिवार दावा करता है कि मंदिर तो हमारे ही शासन में बनेगा तब उन परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट में मंदिर के पक्ष में अपने वकीलों को वापस बुला लेना चाहिए, जिससे यह साबित हो कि वह असली हिंदू है।
यहां पर एक बात ओैर ध्यान देने योग्य है कि हिंदू वास्तव में बहुत ही अदभुत धर्म है। हिंदू धर्म पर बहुत आक्रमण हुये। शक आये, हूण आये, कुषाण आये, मुगल आये, अंग्रेज आये सभी आक्रमणकारियों ने हिंदू समाज को ध्वस्त करने का तरह-तरह से षडयंत्र रचा लेकिन सभी के सपने समय के साथ चकनाचूर हो गये। बहुत से लोगों का धर्म हिंदू सनातन संस्कृति में समाहित हो गया। आज ठीक उसी प्रकार से गांधी परिवार के नेतृत्व में नयी कांग्रेस हिंदू समाज पर नये तरीके का हमला बोल रही हेै। लेकिन इस हिंदू धर्म में इतना पे्रम भरा हुआ है कि उसकी आंधी में यह गांधी परिवार भी समाहित हो जायेगा। हिंदू धर्म का प्यार ही भारत को कांग्रेस संस्कृति से आज नहीं तो कल मुक्त कर देगा। इन लोगों का मंदिर जाने का ढोंग अब बहुत जल्द बेनकाब हो जायेगा।
प्रियंका वाड़ªा वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करके आ गयी हैं तथा उनका मन वाराणसी से चुनाव लड़ने का कर रहा है। अब अयोध्या की यात्रा पर भी गयी और हनुमान गढ़ी के ही दर्शन कर रही हैं। प्रियंका वाड्रा जानबूझकर श्रीराम जन्म्भूमि नहीं गयी। यह महज दिखावा नहीं तो और क्या है। आज हिंदू जनमानस गांधी परिवार से साफ व सीधे सवाल कर रहा है कि आज यह लोग केंद्र की पूर्ण बहुमत की सरकार से तो पूछ रहे हैं कि मोदी सरकार ने हिंदुओं के लिए क्या किया है और यह लोग भी मंदिर नहीं बनवा पा रहे हैं। वह लोग जनमानस में भाजपा व संघ के खिलाफ मंदिर को लेकर नफरत भरी गहरे व आत्मघाती झूठ पर आधारित प्रचार कर रही है जिसका जवाब देने व इस परिवार से जवाब मांगने का यही सही समय है। साथ ही संघ परिवार को गांधी परिवार के महाझूठ तंत्र का मुकाबला करना चाहिए।
यह कांग्रेस पार्टी के ही वकील हैं जो सुप्रीम कोर्ट में बार-बार तारीखों को आगे बढ़वा रहे थे ओैर जब सुनियोजित साजिश के तहत कोर्ट नयी तारीख दे देता है तब यही लोग टीवी चैनलों पर पैनिक फैलाते हैं और कहते हैं कि यदि 56 इंच की छाती में साहस है तो वह राम मंदिर पर अध्यादेश लाकर दिखाये। कांग्रेस का श्री रामजन्मभूमि ही नहीं अपितु हिंदू नमानस के हर सामान्य मुद्दों के खिलाफ विरोधी रवैया ही रहा है। यही कारण है कि हम फिर कह रहे हैं कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का मंदिर दर्शन विश्व का सबसे बड़ा और हिंदुओं के खिलाफ सबसे गहरा झूठ है। आज हिंदू जनमानस व संघ को गांधी परिवार से यह पूछना चाहिए कि उनका श्रीराम मंदिर के प्रति क्या विचार है। आखिर वह लोग अयोध्या में क्या चाहते हैं? गांधी परिवार ने आज तक मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में कारसेवकों पर चलायी गयी गोलियों की निंदा तक नहीं की है, अपितु उस परिवार के दल के साथ राजनैतिक गठजोड़ करते हैं।
अभी प्रयागराज में आयोजित दिव्य व भव्य कुंभ के प्रति शशि थरूर के शब्दों को याद रखने की जरूरत है। कांवड यात्रियों को गुंडा और बेरोजगारों का भीड़तंत्र कहने वाले लोग भी इन्हीं दलों के नेता ही हैं। प्रियंका ने तो कुंभ के आयोजन के औचित्य पर ही सवाल खड़े कर दिये थे। आज प्रियंका महज हिंदुओं को बेवकूफ बनाने के लिए काशी विश्वनाथ और हनुमान गढ़ी के दर्शन करने का नाटक कर रही हैं। यह लोग हनुमान गढ़ी तो जाते है लेकिन श्री रामजन्मभूमि, कनक भवन सहित अन्य मंदिरों में क्यों नहीं जाते? यहां पर अखिल भारतीय संत समिति ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा के अयोध्या दौरे से पहले उनसे रामजन्मभूमि को लेकर अपना रूख स्पष्ट करने की मांग करते हुए कहा कि अयोध्या में जहां रामलला विराजमान हेैं भाजपा तो उसे राम का जन्मस्थान मानती है इसलिये अयोध्या आने से पहले प्रियंका को इसे लेकर अपना रूख साफ कर देना चाहिए कि रामलला विराजमान को वह रामजन्मभूमि मानती हैं या विखंडित मस्जिद का स्थान मानती हैं। उन्होंने अन्य दलों से भी अपना मत स्पष्ट करने को कहा है। आचार्य जितेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि प्रियंका को अपना धर्म भी बताना चाहिए क्योकि राबर्ट वाड्रा की पत्नी और रेहान व मारिया की मां हिंदू कैसे हो सकती है? आचार्य ने कहा कि पति और संतान के नाम हिंदू और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने प्रियंका से यह भी पूछा है कि उनकी हिंदू धर्म के प्रति आस्था कैसे जगी? उन्होंने कहा कि भगवान राम और हनुमान आस्था के विषय हैं, राजनीति के नहीं। यह परिवार इस बात का उत्तर कभी दे ही नहीं सकता।
कारण साफ है कि इनके मन में हिंदुओं के प्रति नफरत की ज्वाला धधकती है। यह भगवान श्रीराम का अस्तित्व ही नहीं मानते और इन लोगों का यह सिद्धांत अभी तक चला आ रहा है। यह लोग कभी नहीं चाहेंगे कि अयोध्या मेें भव्य राम मंदिर का निर्माण हो। याद रखिये कांगे्रस के ही वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु को काल्पनिक कहा था। यह आरोप लगाना बहुत आसान है कि पीएम मोदी पांच साल में अयोध्या क्यों नहीं गये, लेकिन यहां पर गांधी परिवार से यह पूछना जरूरी हेै कि आपका वकील कोर्ट में मंदिर का फैसला लटका क्यों रहा है और आप लोग श्रीरामजन्मभूमि क्यों नहीं जाते? आज हिंदुओं का अपमान करने वाली और उनको दुख देने वाली कांगे्रस पार्टी ही है। जिस प्रकार से यह लोग मंदिर-मंदिर जा रहे हैं उससे इनका पाप छिप नहीं सकता अपितु वह और बढ़ रहा है।
— मृत्युंजय दीक्षित