कुंडलिया
“कुंडलिया”
परचम लहराता चला, भारत देश महान।
अंतरिक्ष में उड़ रहा, शक्ति साक्ष्य विमान।
शक्ति साक्ष्य विमान, देख ले दुनिया सारी।
वीरों की यह भूमि, रही सतयुग से न्यारी।
कह गौतम कविराय, तिरंगा चमके चमचम।
सात्विक संत पुराण, वेद फहराए परचम।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी