इसरो और भारत का बढ़ता वर्चस्व
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी “इसरो” के सफलता के पन्नो में एक और सफल पन्ना जुड़ गया है। जिसने सभी भारतीयों को एक बार फिर गौरवान्वित होने का मौका दिया है।इसरो ने एमिसैट सैटेलाइट (EMISAT) लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। इसरो ने भारत के एमीसैट उपग्रह के साथ विदेशी ग्राहकों के 28 नैनो उपग्रह लेकर जा रहे इसरो के पीएसएलवी सी45 का सोमवार को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया गया और उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया।एमिसैट उपग्रह का उपयोग रक्षा अनुसंधान विकास संगठन के लिए किया जाएगा। जिससे भारतीय रक्षा प्रणाली और मजबूत होगी।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट पर रविवार सुबह 6.27 बजे उल्टी गिनती शुरू हुई।एमिसैट के साथ रॉकेट तीसरे पक्ष के 28 उपग्रहों को ले गया और तीन अलग-अलग कक्षों में नई प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन भी किया।एमीसैट उपग्रह का उद्देश्य विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को मापना है। इस मिशन में इसरो के वैज्ञानिक तीन अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रहों और पेलोड को स्थापित किया गया जो एजेंसी के लिए पहली बार हुआ।अन्य 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों में लिथुआनिया के दो, स्पेन का एक, स्विट्जरलैंड का एक और अमेरिका के 24 उपग्रह शामिल हैं।पिछले कई वर्षों में इसरो ने ऐसे ही नित नए कारनामे कर तरक्की के अनेकों मुकाम को छुआ है और आगे भी ऐसे ही अंतरिक्ष और उससे जुड़े क्षेत्रों में नए नए कारनामे करते हुए देश का नाम रौशन करेगा।
इसरो की इस सफलता की कहानी इससे कहीं आगे के भविष्य को बताती है और साथ ही इसरो का वैश्विक स्तर पर बढ़ता वर्चस्व ये दर्शाता है कि भारत विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अन्य विकासशील देशों को पीछे छोड़ विकसित देश की श्रेणी में खड़ा होने के लिए एकदम तैयार है। जहां एक ओर बाकी देश उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए ज्यादा खर्च करते हैं वही इसरो बेहद कम खर्च में और प्रथम प्रयास में ही अनेको सफल प्रक्षेपण कर चुका है। आज विश्व के लगभग सभी देश अपना उपग्रह प्रक्षेपित करवाने के लिए भारत का रुख करते नजर आ रहें है। ये आज का भारत है जो हर तरह से हर कार्य करने में सक्षम है। भारत पूर्व में ऐसा देश भी रहा है जहाँ कभी साइकल और बैलगाड़ी पर रखकर रॉकेट इधर से उधर ले जाए जाते थे उसी भारत देश ने आज आसमान पर कब्ज़ा करना सीख लिया है। नामुमकिन को मुमकिन बनाना और आसमान में भारत का नाम लिखने के पीछे इसरो है। इसकी सफलता श्रेय देश के महान वैज्ञानिकों के साथ यहां के कुशल नेतृत्व को जाता है।
— गौरव मौर्या