सरसी छंद रचना – दुर्गा स्तुति
नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।
सिंह वाहिनी मात भवानी ,वन्दन बारम्बार ।।
तुम ही सृजन रूप में माता ,पालक रूप तुम्हार ।
कल्प अंत संहाररूपिणी ,जग तेरा विस्तार ।।
शत रूपा है नाम तुम्हारा ,धरती सौ- सौ रूप ।
भक्त भजें हर रूप मातु का ,माँ के रूप अनूप ।
महिषासुर वध करके कीन्हा ,देवों पर उपकार ।
नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।।
चन्ड- मुंड मर्दन तुम करती ,चामुंडा धर रूप ।
रक्तबीज दानव विशाल का ,रक्त पिया मुख सूप ।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण ,फैला है उजियार ।।
नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।।
शुम्भ-निशुम्भ दैत्य सँहारे ,चूर किया अभिमान ।
करें आरती सुर नर मुनि जन ,माँ करती कल्याण ।
मनवांछित फल देकर करदो ,भक्तों पर उपकार ।।
नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।।
नारायण सँग वास तुम्हारा ,माँ अम्बे जगदम्ब ।
दुख संकट की घड़ी विकल है ,दर्शन दो अवलम्ब ।
शरणागत को शरण मे लेलो , शीश झुके है द्वार ।।
नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।।
— रीना गोयल ( हरियाणा)