कुमार विश्वास और सिख चुटकुले
‘पहले बात को तोलो फिर बोलो’ यह बात आम आदमी पार्टी से दरकिनार कर दिए गए कुमार विश्वास पर सही साबित हुई। भाजपा विधायक सीमा त्रिखा ने फरीदाबाद में काव्यांजलि नाम से यह कार्यक्रम पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित किया था जिसमें कुमार विश्वास को आमंत्रित किया गया था। विश्वास जी अपने नाम के आगे डाक्टर लिखते हैं । इस कवि सम्मलेन ने उनकी साख को मिटटी में मिला डाला ।
‘शहीदों को श्रद्धांजलि’ कार्यक्रम में जोक सुनाना किस प्रकार की श्रद्धांजलि है ? इसमें अन्य कवियों ने भी शिरकत की थी। कुमार विश्वास मुख्य कवि के रूप में मौजूद थे। करीब दो घंटे के काव्य पाठ के दौरान कुमार विश्वास ने सरदारों पर चुटकले सुनाये, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह की तरफ इशारा करते हुए भी व्यंग्य किया गया था। उनके साथ साथ, दर्शकों ने भी १२ बजे के खूब मजे लिए। फरीदाबाद सर्ब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव रविदर सिंह राणा ने कहा कि कुमार विश्वास ने जान-बूझकर विवादित टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि इससे सिख धर्म व उसके अनुयायियों का अपमान हुआ है। सिख समुदाय ने कुमार विश्वास के खिलाफ एसजीएम नगर थाना पुलिस को शिकायत की और मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने पुलिस को काव्य सम्मेलन की वीडियो भी दी है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। जो लोग उस कवि सम्मलेन में कुमार विश्वास के भद्दे मजाख पर हंस रहे थे, उन्हें यदि कुमार विश्वास की कविता के बाद इतिहास का ज्ञान करवाया जाता तो उनकी हंसी अपने अतीत को याद कर हीनता में बदल जाती। जो लोग सिखों का बारह बजे का मजाख उड़ाते हैं वह इस बात के पीछे छिपे इतिहास को नहीं जानते परन्तु कुमार विश्वास जैसे पढ़े लिखे ‘डाक्टर’ से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती ।
सिख संगठनों ने कहा विश्वास जी, आपने बारह बजे कहकर सिखों का उपहास किया, आप भूल गए कि यह बारह बजे कब से प्रचलन में आया । उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान तक से अहमद शाह अब्दाली के मुग़ल सैनिक हिन्दू बहु बेटियों के कपडे उतार के उन्हें गुलाम बनाने के लिए ले जाते थे । काबुल कंधार पहुँच कर उन्हें एक एक धेले एक एक पैसे में बेचा जाता था । पंजाब आने तक उस समय का कोई भी हिन्दू राजा इसका विरोध नहीं करता था । जब वह मुग़ल पंजाब में प्रवेश करते थे तो बहादुर सिख, उन असहाय स्त्रियों की मदद करते थे । उन्होंने मुगलों पर धावा बोलने के लिए आधी रात का वक़्त चुना था । जब मुग़ल रात्रि में विश्राम कर रहे होते तो यह सिख चलो बारह बज गए कहकर उनपर टूट पड़ते थे । यह गुरिल्ला वार की तकनीक थी । आधी रात में हमले से घबराकर मुग़ल सैनिक मारे जाते, कुछ जान बचाकर भाग जाते । उन स्त्रियों के घर का पता लगाकर सिख उन्हें घर पहुंचाते । कुछ स्त्रियों के घरवाले उन्हें अपनाने से इंकार कर देते तो यह सिख उन की शादियां भी करवाते ।
इन सिखों से तंग आकर मुगलों ने उनके सर काट कर लाने पर 80 रुपैये का इनाम रखा था । जहां स्त्रियों का मूल्य धेला या एक पैसा था वहीं सिखों के सर का मूल्य 80 रुपैये रखना सिद्ध करता है की मुग़ल सिखों से किस कदर डरे हुए थे । उस समय के हिन्दू राजाओ ने कई सिखों के सर काटकर 80 रुपैये के हिसाब से पैसे वसूले, और साथ में अपनी रियासतों को बचाया । आज लोग सिखों का 12 बजे कहकर उपहास करते हैं । कितनी विडंबना है कि एक समय वह था, जब असहाय स्त्रियां, सिखों को मददगार, इज्जत, जीवन बचाने वाले के रूप में जानती थी, आज उन्ही की औलादें उसी 12 बजे जिसकी वजह से आज वह इज्जत से जी रही हैं, पर कवि सम्मलेन में हंसती हैं।
इसी बीच कवि कुमार विश्वास का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें वे सिख समुदाय से माफी मांग रहे हैं। सिखों के नाम कुमार विश्वास की अपील : “अगर मेरी कही हुई किसी बात से आपको दुख पहुंचा है तो मैं उसके लिए क्षमा मांगता हूं। मैं उस परिवार उस परंपरा से आता हूं जहां हर धर्म का आदर सिखाया जाता है। हर धर्म के सेनानी, गुरु, योद्धाओं को प्रणाम करना सिखाया जाता है। मैं बहुत छोटा आदमी हूं, अगर मेरी किसी भी बात का जरा भी दुख पहुंचा हो तो उसके लिए मैं दोनों हाथ जोड़कर आपसे क्षमा मांगता हूं” । कुमार विश्वास ने इतिहास न पढ़कर राजनेताओं कि तरह ‘अगर मेरी किसी……..’ कहकर माफ़ी माँगी । यदि किसी कि भावनाओं को ठेस न पहुँचती तो क्या वह यह काम जारी रखते ? उन्होंने यह नहीं कहा कि मैं इतिहास नहीं जानता था, मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई ।
सिखों के १२ बजे से सम्बंधित इतिहास का एक लिंक
http://realsikhism.com/index.php%3Fsubaction%3Dshowfull%26id%3D1248986373%26ucat%3D5
I was not aware of this fact.Thanks for bringing this in light.
Sikhs are the real fighters. Bhagat singh , Udham sing and many more are pride of India. One should never make fun of this brave and descent community.
आदरणीय ज्योत्सना बहन जी, सादर नमन, आपके बहुमूल्य शब्दों, सहानुभूति से
सभी सिख समुदाय को, अवश्य ही इस सदमें से उबरने में सहायता मिलेगी ऐसी
आशा है । सभी सिख समुदाय इसके लिए आपका बहुत आभारी होगा बहुत बहुत
धन्यवाद ।
आदरणीय रविन्दर जी, सादर प्रणाम. मर्यादाओं का पालन भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है. किसी भी रूप में चाहे व्यंग्य हो मर्यादा का उल्लंघन स्वीकार्य न होगा. इस तरह की घटनाएं हमारी संस्कृति पर तुषारापात हैं. कुमार विश्वास जी को विश्वास बनाए रखना चाहिए.
आदरणीय सुदर्शन जी, सादर नमन, आपकी प्रतिक्रिया, आपकी सिखों के प्रति
मानवीयता का दृष्टिकोण और प्रत्येक धर्म का आदर, की संस्कृति आपको विरासत
में मिली है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
रवेंदर भाई , कुमार विश्वास जैसे पढ़े लिखे लोग भी अगर बगैर पढ़े लिखे या इतहास जाने, इस तरह की बातें करें तो इस को गन्दी राजनीती नहीं कहेंगे तो और किया कहेंगे . मैं भी उस की बातों से अपनी बेइजती हुई समझता हूँ . यह सारी सिख कौम की बेइजती की है उस ने . ऐसे ही वोह सरोते थे जो तालियां बजा रहे थे . अब तो भारत के लोग बहुत पढ़ लिख गए हैं और उन को अपना इतहास पढ़ कर इस बात पे गर्व करना चाहिए न की अपनी ही बेइजती !
आदरणीय गुरमेल जी, आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद । सिर्फ सिख
समुदाय नहीं सभी संवेदनशील व्यक्तियों को कुमार विश्वास की इस बात से बहुत खेद
हुआ है । उन सभी भाई बहनो को जिन्होंने सिखो के इस मुद्दे पर उनका साथ दिया है,
दिल से धन्यवाद ।
कुमार बकवास ने बहुत मूर्खतापूर्ण और बेहूदा कार्य किया है। उसको कठोर दंड मिलना चाहिए। सिख भाइयों का मजाक उड़ाना बहुत शर्मनाक है।
आप की बात से मैं सहमत हूँ विजय भाई .
आदरणीय विजय जी, आपकी उत्साहवर्धक अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत
धन्यवाद। आप समय निकाल कर लेखकों के लेख पढ़ते हैं और आवश्यकतानुसार
प्रतिक्रिया देते है जो एक सम्पादक की इंसानियत बह प्रगट करता है । आपका तहे
दिल से शुक्रिया ।
प्रिय ब्लॉगर रविंदर भाई जी, आज के कवि सम्मेलन कविता पाठ का मंच न होकर सस्ते चुटकुलों के मंच हो गये हैं, कविता तो गायब ही हो गई है या नैपथ्य मे चली गई है. लोग इसी पर चम्त्कृत और प्रसन्न होकर ताली बजाते हैं. समाज के विवेक को जागरुक करने वाले बहुत सुंदर ब्लॉग के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई.
आदरणीय दीदी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद । जब आप जैसी प्रखर बहुमुखी
प्रतिभा, सिखों का समर्थन करती हैं तो बात में वजन बढ़ जाता है । आपका
बहुत बहुत धन्यवाद ।
बहुत ही ज्ञानवर्धक बातें बताइए आपने नमन उन सिखों को जिन्होंने बहनों और माताओं के सम्मान की रक्षा की। आपको भी लिखने के लिए नमन।
आदरणीय ज्योत्स्ना, बहन जी, सादर नमन आपकी सहानुभूति, आपके अमूल्य
शब्दों के लिए सिख समुदाय सदैव आपका आभारी रहेगा । कुमार विश्वास के
चुटकुलों से आहत सिख, अवश्य आपके शब्दों से कुछ राहत महसूस करेंगें की
कुछ संवेदनशील, व्यक्ति अभी भी समाज में उनके साथ हैं. आपकी बहुमूल्य
प्रतिक्रिया के लिए फिर एक बार हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।