अन्नदाता
अन्नदाता
हाँ वह अन्नदाता है
लेकिन
क्या तुमने देखा है
उसे खुलकर मुस्कुराते हुए
या फिर वह कब हँसा था
ठहाके मारकर
लगता है
वह हँसना-मुस्कराना ही भूल गया है
क्या तुमने देखा है
उसके सपनों को
क्यों देखता है वह सपनें
शायद
तुमने देखा हो उसके सपनों को
और
उन सपनों को टूटकर बिखरते हुए
या फिर
उसकी आँखों में बसे उनींदे सपनों को
और फिर
खुली आँखों के सपनों को हवा होते हुए
क्या तुमने देखा है
उसे समन्दर सा गहरा
और रीता होते हुए
या दरिया के प्रवाह सा
लेकिन
क्या तुमने देखा है
उस प्रवाह को विपरीत धारा की ओर लौटते हुए
या फिर
वापस दरिया की तरह बहते हुए
शायद नहीं
लेकिन
मैंने देखा है
उसकी सूनी हो चुकी आँखों को
टूटकर बिखरते सपनों को
निराशा के अंधकार में विचरते हुए
कर्ज के जंजाल में फँसते हुए
और फिर
कर्ज से छुटकारे की चाह में
जीवन से मुक्ति पाते हुए।