वृक्षों का उपचार भी किया जाए
पर्यावरण के हित मे कई संस्थाए कार्य कर रही है। कई संस्थाए वृक्षारोपण का पुनीत कार्य करती है।उन्हें बीमार वृक्षो की औऱ ध्यान देना होगा।ताकि वृक्ष जो सेकड़ो वर्ष पुराने है उनका इलाज कर उनको सुरक्षित किया जा सके।वृक्षों को प्राचीन समय से लोग पूजते आ रहे है ,इसके पीछे भीषण गर्मी मे ठंडी सुखद छाँव प्राप्त होना, शुद्द हवा उदर- पोषण,धार्मिक आस्था ,सांसारिक जीवन के अंतिम पड़ाव में दाहसंस्कार में उपयोगी बनना पृथ्वी के तापमान को कम करना व वर्षा के बादलों को अपनी और आकर्षित कर वर्षा कराना रहा| बीमार वृक्षो की सुरक्षा और इनकी देखभाल हेतु वृक्षों का चयन किया जाना चाहिए है ।मिटटी का कटाव रोकने हेतु नदी के तट पर फलदार वृक्ष ज्यादा मात्रा में लगाया जाना चाहिए| जिससे परिक्रमा वासी,नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को गर्मी में सुखद छांव एवं फल की प्राप्ति हो सकें ।देखा जाए तो वर्तमान में पेड से प्राप्त होने वाली सभी चीजे महँगी है |प्राचीन वृक्षों को जो अंदर से पोले या गिरने की कगार पर हो उसका उपचार भी किया जाना चाहिए।पर्यावरण के हिसाब से गंभीर एवं चिंतनीय पहलू है|गर्मियों में इंसान पशु-पक्षी व् वाहनों को छाँव की तलाश रहती है |गर्मी के दिनों में वृक्ष की छाँव का महत्व अपने आप समझ में आजाता है | वृक्षों के होने से जीवन सुखद होता है |अतः इनकी देखभाल और उपचार करना भी आवश्यक है |
— संजय वर्मा “दृष्टी “