ग़ज़ल
हो चला कैसा ज़माना आज देखो |
सच कहीं आता नहीं अब तो नज़र है
हो गया है झूठ का अब राज देखो |
चीखती चिल्ला रही हैं बेटियां सब
सुन रहा कोई नहीं आवाज़ देखो |
हर तरफ़ सहमी हुई सी है हवा अब
जुल्म का होने लगा आगाज़ देखो |
बिक रही हैं ईश की अब मूर्तियाँ भी
हो रहा कैसा घिनौना काज देखो|
आदमी को है नहीं कोई समझ भी
पाप पर भी कर रहा वो नाज देखो |
मान मर्यादा हुई है खत्म सारी
अब नहीं बाकी कहीं भी लाज देखो |
— डॉ. सोनिया