ग़ज़ल
झूठे कसमें, वादे, कहानी लिखेंगे।
जो आँखों से बहता पानी लिखेंगे।
आरजू थी मुझे प्यार-ए-हसरत,
बेवफाई जीवन में रवानी लिखेंगे।
चाहती थी तुझे हद से भी ज्यादा,
प्यार में धोखा, बेईमानी लिखेंगे।
गैरों के खातिर तुमने बहुत रुलाया,
कहीं रंज-ओ-ग़म सुनामी लिखेंगे।
करते थे कभी इश्क़-ए-मोहब्बत,
उसी को फ़क़त जिंदगानी लिखेंगे।
झूठी तसल्ली हमें देते रहे तुम,
तेरे प्यार की मेहरबानी लिखेंगे।
दिल की किताबों के हर पन्ने पर,
जिंदगी की दास्तां जुबानी लिखेंगे।
— सुमन अग्रवाल “सागरिका”