ग़ज़ल
रूठे हुए दिल को मनाना भी जरूरी है।
दिल से दोस्ती निभाना भी जरूरी है।
यूँ तो जिंदगी में गम, निराशा, आसूँ बहुत,
नमी आँखों की, दर्द छुपाना भी जरूरी है।
वैसे तक़लीफ़, दुख-दर्द तो है बहुत लेकिन,
खुश रहने को हँसना-हँसाना भी जरूरी है।
बेसबब दिल पर कोई बोझ न हो बस,
जिंदगी में जंग को मिटाना भी जरूरी है।
तनावग्रस्त जिंदगी करें भी तो क्या करें,
अपनों को परेशानी बताना भी जरूरी है।
कभी भी कोई अपशब्द बुल जाये तो,
गलती पर सिर झुकाना भी जरूरी है।
मन को शांत रखने के लिए “सुमन”
हमें मंदिर मज़ारे जाना भी जरूरी है।
— सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आप फिर सदाबहार काव्यालय-22 को नवभारत टाइम्स के अपना ब्लॉग पर भी देख सकती हैं. इस समय यह ब्लॉग सुपरहिट में भी चल रहा है.
ओके धन्यवाद आपका
प्रिय सखी सुमन जी, आप जय विजय में नई आई हैं, आपका हार्दिक स्वागत है. आप कामेंट्स लिख भी रही हैं और जवाब भी दे रही हैं, हमें बहुत अच्छा लग रहा है. प्रतिक्रिया से प्रेरणा मिलती है, अपनी रचना के स्तर का पता भी चलता है. हमने नवभारत टाइम्स के अपना ब्लॉग पर फिर सदाबहार काव्यालय शुरु किया हुआ है. आप अपनी काव्य-रचनाएं हमें भेज सकती हैं. फिर सदाबहार काव्यालय के लिए कविताएं भेजने के लिए ई.मेल. आपको जय विजय में फिर सदाबहार काव्यालय-22 ब्लॉग पर मिल जाएगी.
जी ओके धन्यवाद आपका जी नवभारत टाइम्स में रचना भेजने के लिए किस मेल पर भेजना है।
प्रिय सखी सुमन जी, बहुत सुंदर गज़ल के लिए बधाई.
आभार आपका
आपका बहुत बहुत धन्यवाद