सुगत सवैया छंद गीत- आँसू
करें व्यथित मन के भावों को ,पीर हृदय की जब पढ़ते हैं ।
बह जाते है अनायास ही ,आँसू जब मुझसे लड़ते हैं ।
हाँ मेरा आमंत्रण ही तो ,असमय उन्हें बुला लेती हूं ।
और नयन का द्वार खोल कर ,गालों पर सहला लेती हूं ।
आँसू भी उद्वेलित होकर ,बनते लहर उछल पड़ते हैं ।
बह जाते है अनायास ही ,आँसू जब मुझसे लड़ते हैं ।
कह दूँ किससे हृदय वेदना ,अकसर आँसू पी जाती हूँ ।
मटमैला सा स्वाद कसैला ,पीकर भी मैं जी जाती हूँ ।
करूँ मोल क्या इन आँसू का ,हैं अनमोल निकल पड़ते हैं ।
बह जाते है अनायास ही ,आँसू जब मुझसे लड़ते हैं ।
— रीना गोयल ( हरियाणा)