राजनीति

ऐसे राजनीतिज्ञों से देशवासी रहे सावधान तथा सजग होकर करें मतदान

लोकसभा चुनावां का चैथा चरण संपन्न होने जा रहा है तथा पांचवे चरण का चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है लेकिन नेताओं की विकृत बयानबाजियां बेशर्मी की हदें पार कर रही हैं। राष्ट्रवाद की धवलधार से चलता हुआ यह चुनाव अब एक बार फिर जिन्ना और जातिवाद पर आकर टिक गया है।
विरोधी दलों के नेताओं के बयानों से पता चल रहा है कि अब उनके पास कोई मुद्दा नही बचा है। केंद्र सरकार के पांच साल के कार्यकाल का किस प्रकार से विरोध किया जाये या फिर इन सभी दलों के पास देश के किसान, युवा, बुजुर्ग व दिव्यांग नागरिकों की समस्याओं का समाधान ये दल किस प्रकार से करेंगे, यह बात कोई भी दल नहीं बता रहा है। ये दल यह भी नहीं बता पा रहे हैं कि उनके पास सरकार चलाने के लिए एजेंडा क्या होगा तथा देश की सीमाओं की सुरक्षा किस प्रकार से करेंगे। आतंकवाद से किस प्रकार से लड़ेंगे? अब विरोधी दल ईवीएम मशीनों के खिलाफ झूठा जहर उगलने लगे हैं।
अभी हाल ही में भाजपा से किनारा करके कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने बयानों व कृत्यों से कांग्रेस की फजीहत करा डाली है। शत्रुघ्न सिन्हा अब राजनीति के क्षेत्र में भी सुपर खलनायक साबित हो रहे हैं। पीएम मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से नाराजगी के बाद शत्रु लगातार नाराज होते चले गये और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रैली में जाकर अपने बगावती तेवरों को धार दे दी थी। तब से वह यह नहीं तय कर पा रहे थे कि उन्हें किस पार्टी में शामिल होना है। लेकिन अब वह कांग्रेस में हैं और उनकी पत्नी पूनम सिन्हा को समाजवादी पार्टी ने लखनऊ से उम्मीदवार भी बना दिया है।
कांग्रेसी नेता शत्रु ने अपनी पत्नी के लिए रोड शो किया था और जिसके कारण लखनऊ में कांग्रेस के नेता व उम्मीदवार आचार्य प्रमोद कृष्णन ने अपनी नाराजगी का इजहार भी कर दिया था। मध्य प्रदेश के चुनाव प्रचार के दौरान अति उत्साह मेें आकर जिन्ना की तारीफ कर बैठे और जिसके कारण अपने आप व कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को भी पशोपेश में डाल दिया। उन्होंने वहां पर बयान दिया कि कांगे्रस महात्मा गांधी से लेकर सरदार वल्लभ भाई पटेल तक, मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर नेहरू और इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक ने देश के विकास में योगदान किया है।
यह वही शत्रु है जो परिवारवाद का विरोध करने के नाम पर कभी अटल जी के साथ बीजेपी में शामिल हुआ था। आज परिवारवाद की दौड़ में इतना अंधा हो चुका है कि देशहित व समाजहित को पूरी तरह से भूल चुका हैं । शत्रु ने लाखों हिंदुओं का ,खून बहाने वाले लोगों का महज अपनी एक बीवी को येन-केन प्रकारेण सांसद बनाने के लिए राजनीति का सबसे शर्मनाक व विकृत उदाहरण पेश करते हुए अपनी असलियत जनता के सामने परोसकर रख दी है। अब यह जिन्ना प्रेमी लोग अपने कर्मों को सही बताने के लिए बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी जी के जिन्ना की मजार पर जाने को लेकर बयानबाजी भी कर रहे हैं।
लेकिन इन लोंगों को यह भी अच्छी तरह से याद रखना चाहिये कि आडवाणी जी जब जिन्ना की मजार पर गये और उनकी धर्मनिरपेक्षता पर बयान दे डाला, तब से उनकी राजनैतिक हैसियत लगातार कम होती चली गयी। वर्ष 2019 में उनके जिन्ना प्रेम के कारण ही उनके राजनैतिक जीवन का समापन हो चुका है। उनके एक और साथी सुधींद्र कुलकर्णी आज राजनैतिक पर्दे से पूरी तरह से गायब हो चुके हैं। अब शत्रु व उसके बाद महाराष्ट्र में शरद पवार की एनसीपी के एक नेता ने भी जिन्ना के विकास में योगदान की सराहना की है। अब बचे हुए चरणों में जिन्ना की आत्मा के कारण इन सभी का अंत होने जा रहा है।
शत्रु की पत्नी पूनम सिन्हा तो लखनऊ से चुनाव लगभग हारने के लिए लगभग लड़ रही हैं। वहीं अब शत्रुु का क्या होगा अभी पता नहीं? उनके जिन्ना प्रेम के बयान के बाद शत्रु की जो कुछ अच्छी इमेज जनता के बीच थी वह समाप्त हो चुकी है। अब वह देश की जनता व मीडिया में बुरी तरह से गिर चुके हैं। जिन्ना की आत्मा के कारण ही शत्रु कांग्रेस को पूरी तरह से समाप्त कर देंगे। शत्रु परिवारवाद का सबसे विकृत व घिनौना उदाहरण देश के सामने उभरा है। ऐसे स्वार्थी राजनैतिक तत्व देश के लोकतंत्र व लोकमत के लिए एक बहुत गहरा खतरा बनकर उभर रहे हैं। इन चुनावों में देश की जनता को जिन्ना प्रेमी तथा परिवारवादी तत्वों के खिलाफ एकजुट होकर मतदान करना चाहिये।
दूसरी तस्वीर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पेश कर रही हैं। चुनावों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने फिल्म अभिनेता अक्षय को एक गैर राजनैतिक बयान दिया और जिसमें कहा कि, “ममता दीदी हर साल उन्हें कुर्ते और मिठाईयां भेजा करती हैं का जवाब देते हुए कहा कि मोदी बंगाल चुनाव से पहले नहीं आते। उन्हें बंगाल के वोट चाहिए। हम उन्हें बंगाल से रसगुल्ला देंगे हम मिट्टी से मिठाई बनाकर उसमें कंकड़ मिला देंगे जिससे उनके दांत टूट जायें।“ यह हैं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता का असली विकृत चेहरा! क्या यही लोकतंत्र है और क्या यही अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब रह गया है।
ममता मोदी जी को खुलकर गालियां दे रही है अगर यह किसी और देश में होती तो आज की तारीख में इन्हें जेल में ही अपना राजनैतिक कैरियर बिताना पड़ता। लेकिन यह इनका भाग्य है कि आज मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर लोकतंत्र व लोकमत का उपहास उड़ा रही है। आज पूरा बंगाल ममता के गुंडों से कराह रहा है। अभी तक वहां पर दस लोकसभा सीटों का चुनाव संपन्न हो चुका है तथा वहां पर से जो ट्रेंड आ रहे हैं उसमेें ममता की हालत कोई बहुत अच्छी नहीं नजर आ रही है। पीएम मोदी की रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही है तथा पीएम मोदी भी एक रैली में कह चुके हैं कि यहा पर कुछ बहुत बड़ा होने जा रहा है।
बंगाल में चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद हिंसा हो रही है। तृणमूल कांग्रेस ईवीएम पर रोज नयी-नयी निराधार शिकायतों को लेकर चुनाव आयोग के पास जा रही है। इस बार अब वैसे भी पूरे देशभर की निगाहें बंगाल की ओर लगी हैं कि वहां पर क्या कुछ बड़ा होने जा रहा है। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है ममता की बौखलाहट आगे बढ़ रही है। ममता का लोकतंत्र पूरी तरह से गुंडागर्दी पर उतर आया है। ग्रामीण क्षेत्रों मे मतदाताओं को डराने धमकाने का काम शुरू हो चुका है। यह भी लोकतंत्र व लोकमत की एक बहुत बड़ी खलनायिका साबित हो रही हैं। अगर ऐसे विकृत राजनीतिज्ञ प्रधानमंत्री बन गये तो देश का क्या हाल होगा सोचा जा सकता है। अत: देश का लोकमत सावधानीपूर्वक अगले चरणों में अपने मताधिकर का उपयोग करे ताकि देश सुरक्षित हाथों में रहे।

मृत्युंजय दीक्षित