परिश्रम
मेहनत करने वालों को कभी न होती थकान
परिश्रम करते लगन से और करते श्रमदान
गोद में प्यारी बिटिया,मातृत्व से भरा प्यार
दो वक्त की रोटी कमाना,राह कठिन समान
थामा हथौड़ा हाथ में,न फैलाये दर पर हाथ
स्वाभिमान मन में है,न करे कभी गुणगान
गर्म लोहे को पीटकर,अनवरत करती काम
मेहनत के बदले फल न मिले,न मिले सम्मान
संघर्षों से जूझकर चलाती अपना घर परिवार
सृष्टि की धुरी माँ कहलाती,यही माँ की पहचान।
— सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा