बालोपयोगी लेख

पेड़ की आत्मकथा

मैं एक पेड़ हूं. मगर, आत्मनिर्भर पेड़ हूं. अपना भोजन स्वयं बनाता हूं. क्या आप जानना चाहते हो कि यह कार्य मैं किस तरह करता हूं ?

हां. तो चलिए, मैं बताता हूं. मैं किस तरह काम करता हूं.

मेरे अंदर एक भोजन बनाने का कारखाना है. इस कारखाने का नाम हरितलवक है. यह कारखाना हरेक पत्तियों में पाया जाता है. यह सूर्य निकलने के साथ अपना काम शुरू कर देता है.

इस कारखाने को कच्चा माल मेरी जड़ पहुंचाती है.जिस तरह तुम लोगों को भोजन बनाने के लिए कच्चा माल चाहिए होता है. जैसे आटा, नमक, तेल, मिर्ची आदि. उसी तरह मुझे भी कच्चा माल चाहिए होता है.

मैं भी अपनी जड़ों से खनिज लवण और पानी के साथ कई तत्व प्राप्त करता हूं. पत्तियां सूर्य के प्रकाश से गरमी यानी ऊर्जा प्राप्त करती है. हवा से कार्बन गैस लेती है. इन की सहायता से मेरा कारखाना पानी से हाइड्रोजन गैस प्राप्त करता है. हवा की कार्बनगैस से कार्बन प्राप्त कर के उसे शर्करा में बदल देता है. यह शर्करा स्टार्च में बदल कर पूरे पेड़ में चली जाती है.

यही मेरा भोजन होता है. मेरा कारखाना खनिज लवण और कार्बन से तेल और प्रोटीन बनाता है. यह प्रोटीन मेरे सभी भागों की वृद्धि और मरम्मत का काम करता है. इस तरह मेरी पत्तियों से भोजन बनता है.

दूसरी बात, जब मैं पानी से हाइड्रोजन लेता हूं तब पानी में आक्सीजन भी होती है. इसे मैं हवा में छोड़ देता हूं. इस तरह हवा से कार्बन गैस ले कर हवा को आक्सीजन लौटा देता हूं. इसे आप अपनी प्राणवायु भी कहते हैं. मेरी प्राणवायु आक्सीजन और कार्बनगैस दोनों है. इसी से मैं जिंदा रहता हूं.

जब यह प्रक्रिया मुझ में बंद हो जाती है तो मैं मर जाता हूं. यदि मुझे पानी न मिले और जड़ें नष्ट हो जाए तो मैं असमय नष्ट हो जाता हूं.

बस इतनी सी मेरी आत्मकथा है. अच्छी लगी हो तो ताली बजा दीजिएगा.

— ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]