बाल कविता – ऊँट बोला
ऊँट को देखा , बैठे खामोश।
जाकर बोला मनु खरगोश।।
दादा जी ! जरा पानी पी ले।
कर लो अपने ओंठ गीले।।
ऊँट बोले होकर खुश।
पी ले तू अपना जूस।।
ध्यान से सुनो मेरी बानी।
यह नहीं है कोई कहानी।।
तीस दिनों का मैं पानी पीता।
नहीं होता मेरा पेट रीता।।
एक बात मुझे तुमसे कहनी।
गाँठ बाँध कर याद रखनी ।।
बेटा ! अति सर्वत्र वर्जित है।
वेद पुराण में भी वर्णित है।।
— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”