बाल कविता – गुब्बारे में
हवा भर कर गुब्बारे में।
खेल रहा था मैं चौबारे में।।
हाथ में था , लगता प्यारा।
मस्त बढ़िया निक न्यारा।।
हाथों से सहलाते जाता।
स्नेह मैं जतलाते जाता।।
अचानक हाथ से छुटा वह।
लगा मुझसे जैसे रूठा वह।।
— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”