मातृ दिवस पर ललित छन्द आधारित गीत
मां तुम प्रहरी इस जीवन की ,हर दम प्यार लुटाती ।
स्नेह ,प्रेम भरती पग -पग में ,जिस पथ भी मैं जाती ।।
जीवन चक्की सा चलता है ,तुमने पीसा तन को ।
मातृत्व बनाकर प्रथम ध्येय ,भूल चुकी यौवन को ।
मैंने जब भी मात पुकारा ,तुमने मुझे संभाला ।
जीवन के हर कठिन दौर में , गले लगाकर पाला ।
थककर भले चूर हो जाती ,मुख पर शिकन न लाती ।
स्नेह ,प्रेम भरती पग -पग में ,जिस पथ भी मैं जाती ।।१।।
कभी रोकती कभी टोकती ,कभी हिदायत देती ।
कभी लगाकर एक चपत फिर ,आंचल में भर लेती ।
बिन बोले कैसे सुन जाती ,मेरी हर दुविधाएं ।
रोम -रोम पुलकित हो मेरा ,तुझको शीश नवाए ।
मेरा जीवन कोरा कागज, नेह भरी तुम पाती ।
स्नेह ,प्रेम भरती पग -पग में ,जिस पथ भी मैं जाती ।।२।।
हर क्षण मैंने मूरत तेरी,मन मंदिर में पायी ।
नयन किवड़िया जब जब खोली ,तू ही मां मुसकाई ।
हे! ईश्वर उपकार है तेरा , इक वरदान दिया है ।
करुणासागर मात बनाई , ये अहसान किया है ।
दयाशील कोमल माता के ,दुनिया गुण है गाती ।
स्नेह ,प्रेम भरती पग -पग में ,जिस पथ भी मैं जाती ।।३।।
— रीना गोयल ( हरियाणा)