त्याग से ममता
मुरझाये चेहरे को
हमेशा मुस्कान देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब कभी उदास हो जाऊँ
माँ चुटकियों से हँसा देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब भी ठोकर खाऊँ
फूक मारकर दर्द भगा देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब कभी भूख का आभास होता
कहने से पहले ही खिला देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब कभी थक जाता
हाथों की थाप से थकान मिटा देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब कभी बीमार होता
दिन रात अपना लगा देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
माँ का कर्ज चुकाया नही जाता
उसके त्याग की भुलाया नहीं जाता
भटके हुए बेटो सुन लो जरा
माँ तो माँ है
माँ को रूलाया नहीं जाता।
— आशुतोष