मुझे तालीम है मिट्टी की खुशबू की
मैं अपने कामों में ईमान रखता हूँ
सो सबसे अलग पहचान रखता हूँ
बना रहे हिन्दोस्तान मेरा शहंशाह
अपने तिरंगे में ही प्राण रखता हूँ
सब इंसान लगते हैं मुझे एक जैसे
तासीर में हमेशा भगवान् रखता हूँ
है महफूज़ जहाँ मुझ जैसे बन्दों से
सच से लैश अपनी जुबां रखता हूँ
मुझे तालीम है मिट्टी की खुशबू की
अपने जहन में संविधान रखता हूँ
— सलिल सरोज