कविता

हम क्या से क्या हो गये 

हम क्या से क्या हो गये
भ्रम में पड़े बीमार हो गये

हिंदू-मुस्लिम करते-करते
खूनी दंगों के शिकार हो गये

मंदिर-मस्जिद बनाते-बनाते
हम स्वयं के घर से बेघर हो गये

सही क्या और गलत क्या
पता लगाते-लगाते गुम हो गये

छलावे से भरा रौनकी बाजार
झूठे यहाँ माला-माल हो गये

शैतानी शोर-गुल में कैसे
इंसानीबोल दफन हो गये

जग की बेमतलबी बातों में
लोभ, द्वेष के कारोबार हो गये

राम-कृष्ण, गौतम के वंशज
आज हम क्या से क्या हो गये

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111

One thought on “हम क्या से क्या हो गये 

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    बहुत बढ़िया कविता. हार्दिक बधाई

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