मुक्तक
कोई पुरखों की मिल्कियत बचाना चाहता है।
कोई कुनबे की इज्जत बचाना चाहता है।
हे भगवान रक्षा करना मेरे वतन की अब-
कौन देश की ताक़त बचाना चाहता है।
कोई पुरखों की मिल्कियत बचाना चाहता है।
कोई कुनबे की इज्जत बचाना चाहता है।
हे भगवान रक्षा करना मेरे वतन की अब-
कौन देश की ताक़त बचाना चाहता है।