एहसास
जिंदगी की सांसे रुक जाये |
वक़्त की रफ़्तार में ठहराव आ जाये |
अरमानों की बोरी फट जाये |
धड़कनो की धक् धक् उलझ जाए |
आखों के आशू सूख जाये |
जुबान ख़ामोश हो जाये |
उम्मीदों का बाजार बंद हो जाये |
दिमाग के ख्यालो में जंग लग जाये |
दिल का टुकड़ा पत्थर हो जाये |
मन में उठ रहे तूफ़ान थम जाये |
तन्हाइयो के घर में एक कमरा किराये प मिल जाये|
जिंदगी की कशमकश ख़तम हो जाये |
जिंदगी के महमानो की राहें बदल जाये |
सकून की बस्ती में एक बिस्तर मिल जाये |
नदियों को किनारे मिल जाए |
खुवाहिशो का थैला बिखर जाये |
बुराइयों भरी मन की संदूक खाली हो जाये |
जिल्लत की जिंदगी का कोई जज सच्चा फैसला करे |
कड़वे शब्द सुनते समय कान के गेट खुद-ब खुद बंद हो जाये |
किसी सच्चे इंसान की गोद में न टूटने वाले विश्वास का आँचल मिल जाए |
— दीप्ति शर्मा (दुर्गेश)