कविता

एहसास

जिंदगी की सांसे रुक जाये |

वक़्त की रफ़्तार में ठहराव आ जाये |

अरमानों की बोरी फट जाये |

धड़कनो की धक् धक् उलझ जाए |

आखों के आशू सूख जाये |

जुबान ख़ामोश हो जाये |

उम्मीदों का बाजार बंद  हो जाये |

दिमाग के  ख्यालो में जंग लग जाये |

दिल का टुकड़ा पत्थर हो जाये |

मन में उठ रहे तूफ़ान थम जाये |

तन्हाइयो के घर में एक कमरा किराये प मिल जाये|

जिंदगी की कशमकश  ख़तम  हो जाये |

जिंदगी के महमानो की राहें बदल जाये |

सकून की बस्ती में एक बिस्तर मिल जाये |

नदियों को किनारे मिल जाए |

खुवाहिशो का थैला बिखर जाये |

बुराइयों भरी मन की संदूक खाली हो जाये |

जिल्लत की जिंदगी का कोई जज सच्चा फैसला  करे |

कड़वे शब्द  सुनते समय  कान के गेट खुद-ब खुद बंद हो जाये |

किसी सच्चे इंसान की गोद में न टूटने वाले विश्वास का आँचल मिल जाए |

दीप्ति शर्मा (दुर्गेश)

दीप्ति शर्मा (दुर्गेश)

पता : RC - 952 प्रताप विहार खोरा कॉलोनी ग़ाज़ियाबाद, उम्र : 22 (04/08/1996) शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट पेशेवर : एकाउंटेंट , लेखिका फ़ोन नo : 8505894282