गीतिका/ग़ज़ल

लगन

लगन से की गई मेहनत, कहाँ बेकार जाती है
अगर दम कोशिशों में हो, तो’ मुश्किल हार जाती है
बड़ी बेचैन रहती है, तुम्हारी याद की कश्ती
कभी इस पार आती है, कभी उस पार जाती है
किया वादा अगर उसने मुझे मिलने का’ मंदिर में
बुलाती है मुझे शनिवार खुद रविवार जाती है
ख़ुशी है आजकल रूठी, मेरे आँगन मेरे घर से
गली में हर मोहल्ले में, सभी के द्वार जाती है
अगर दिल में अहिंसा है तो’ रोको हाथ भी अपने
अकेली काटने गर्दन कहाँ तलवार जाती है
सचाई की किताबों तो पढ़ीं हमने भी’ उसने भी
न जाने कौन से रस्ते, मेरी सरकार जाती है
मुकाम अपना बनाती है, दिलों की तंग बस्ती में
ये’ मेरे प्यार की खुशबू, जहाँ इक बार जाती है
बसन्त कुमार शर्मा
जबलपुर, म.प्र.

बसंत कुमार शर्मा, IRTS

उप मुख्य परिचालन प्रबंधक पश्चिम मध्य रेल 354, रेल्वे डुप्लेक्स बंगला, फेथ वैली स्कूल के सामने पचपेढ़ी, साउथ सिविल लाइन्स, जबलपुर (म.प्र.) मोब : 9479356702 ईमेल : [email protected] लेखन विधाएँ- गीत, दोहे, ग़ज़ल व्यंग्य, लघुकथा आदि