हमारी नर्मदा
“सुनो मुझे तुमसे बात करनी है”
“तुम ये सास बहू वाले सीरियल मुझे न सुनाया करो” शुभ ने सुधा की बात अनसुनी करते हुए कहा..!
“आज मैं किसी की शिकायत नहीं करने नहीं, कुछ माँगने आई हूँ”
“ओये होये जान ले ले मेरी, सब कुछ तेरा ही तो है ” शरारत तैर गई शुभ के चेहरे पर..
“सुनो न “
“कहो न “
“क्या हम नर्मदा को गोद ले लें”
शुभ सुधा की बात पर स्तब्ध हो गया …बात ही ऐसी थी, नर्मदा शुभ की बहन की बेटी थी जो विकलांग थी छटी इंद्री पचास प्रतिशत अपनी क्षमता खो चुकी थी, “लेकिन तुम्हारे इस फैसले की वजह? जबकि हमारी पहले से ही दो बेटियां है और न ही मेरी बहन से तुम्हारी बनती है फिर कैसे….??
“उसको जिस तरह से तंग किया जा रहा है मुझसे नहीं देखा जाता, हमारी बेटियों के साथ रहेगी तो उसके हिस्से की खुशी मिल जायेगी”
“देख सोच ले… आर्थिक तौर पर तो मैं मदद कर सकता हूँ पर देखभाल तो तुमको ही करनी पड़ेगी और नार्मल व्यक्ति की देखभाल और नर्मदा की देखभाल मे अन्तर है …सम्भाल पायेगी??”
“हां मै कर लूंगी आखिर एक फौजी की पत्नी हूँ शक्ति तो आपसे से ही मिलती है “
“और मुझे तुमसे ” ऐसा कहकर शुभ ने अपनी पत्नि को गले लगा लिया
दोनों गले लगकर भावुक हो गये लेकिन पत्नि ने फिर अपने आपको शर्माते हुये अलग किया, शिकायती लहजे में बोली…
“लेकिन मैं ननद जी की शिकायतें तो आपसे करुँगी ये न समझना कि वो बन्द हो जायेंगी “
“अच्छा अगली छुट्टी में आऊँगा तो कानूनी कार्रवाई से उसे हम अपने घर ले आयेंगे, मैं चलूँ ….बार्डर मेरा इन्तजार कर रहा है” ।
दोनो हंस दिये..!
जाते हुये पति को देखकर सुधा सोच रही थी … “मैनै देखा था आपकी आँखों में अपनी बहन के लिये दर्द और उसके शराबी पति का उसकी बेटी के लिये प्रताड़ित करने का दर्द ….मैं भले ही कुछ न कर सकूँ आपके लिये लेकिन आपकी परेशानी कभी नही बनूँगी शुभ …लव यू “
जाते हुये कदम एक पल को रूके शुभ के ,शायद दिल से निकले तार जुड़े थे, उसका मन भी पत्नी के लिये आभार व्यक्त कर रहा था
“तुम किसे पढ़ लेती हो मेरे दर्द को सुधा… लव यू टू”
#रजनी चतुर्वेदी