उसकी आँखों में कहीं गंगाजल रहता है
न जाने क्यूँ मैं अक्सर ही भटक जाता हूँ
उसकी आँखों में कोई तो जंगल रहता है
और फिर मैं भटकता नहीं तो क्या करता
उन आँखों में भरा-भरा काजल रहता है
जब भी आईना देखते होंगे, वो सोचते होंगे
इन आँखों में न जाने कौन पागल रहता है
मैं उसको छू भी लूँ, मैं उसको पी भी लूँ
उसकी आँखों में कहीं गंगाजल रहता है
— सलिल सरोज