हे शेरावाली
हे मां शेरावाली
अन्दर ऐसा प्रेम जगाओ
जन जन का उपकार करूं,
प्रज्ञा की किरण पुंज तुम
हम तो निपट अज्ञानी है।
हे मां पहाड़ा वाली
करना मुझ दीन पर कृपा तुम
निर्मल करके तन-मन सारा
मुझ में विकार मिटाओ मां
इतना तो उपकार करो।
हे मां अम्बे
पनपे ना दुर्भाव ह्रदय में
घर आंगन उजियारा कर दो
बुरा न करूं -बुरा सोचूं,
ऐसी सुबुद्धि प्रदान करो।
हे मां भुवनेश्वरी
इतना उपकार करो
निर्मल करके मन मेरा
सकल विकार मिटाओ दो मां
जो भी शरण तुम्हारी आते
उसे गले लगाओ मां।।
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🙏✡ कालिका प्रसाद सेमवाल
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
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