नवनिर्वाचित सांसदों से जनता का अनुरोध
नई लोकसभा के चुनाव परिणाम आ चुके हैं। यह हर्ष का विषय है कि राष्ट्रीयता व देश-प्रेम इन चुनावों में प्रमुखता से उभर कर आए हैं । यह सार्वभौमिक सत्य है कि भाषा-संस्कृति किसी भी देश की राष्ट्रीयता का प्रमुख आधार होते हैं। भाषा के माध्यम से संस्कृति आगे बढ़ती है जो राष्ट्रीयता की जड़ों को मजबूत करती है। इसलिए सभी नव-निर्वाचित सांसदों से अनुरोध है कि सशक्त राष्ट्र के लिए सभी स्तरों पर भारतीय भाषाओं को अपनाएँ और आगे बढ़ाएँ।
जनतंत्र अर्थात जनता के लिए, जनता के द्वारा, जनता का शासन। लेकिन जनता की भाषा में ही न हो । उसी के द्वारा और उसी के लिए और विदेशी भाषा के चलते उसे ही कुछ पता नहीं, तो जनतंत्र कैसे ? यह जनतंत्र के साथ धोखा है। विश्व में शायद ही कोई ऐसा जनतंत्र होगा जहाँ जनता के लिए, जनता के द्वारा, जनता का शासन जनता की भाषा में न हो। इसलिए सभी नवनिर्वाचित सामसदों से अनुरोध है कि जनतंत्र की रक्षा व जन-अधिकारों की रक्षा के लिए सभी सेवाओं – सुविधाओं व सूचनाओं के साथ-साथ शिक्षा व रोजगार के लिए जनभाषा अर्थात देश-प्रदेश की भाषाओं को प्राथमिकता दें। इसके लिए जन-भावनाओं का सम्मान करते हुए सभी कारगर कदम उठाएँ।
— वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई