हे भारत माता तेरा अभिनन्दन
हे भारत माता तेरा अभिनन्दन
तेरी मिट्टी का कण-कण चन्दन
चाहूँ तेरे चप्पे-चप्पे में हो उजियारा
दूध-दही की बहती रहे सदा नदी धारा
यहाँ के नेताओं को मिले सद्बुद्धि
विधर्मियों की हो जाये बस शुद्धि
कोई जन न कर पाये कभी क्रंदन
हे भारत माता तेरा अभिनन्दन
आतंकवाद-नक्सलवाद मिट जाये
राष्ट्रप्रेम का गीत घर-घर गाया जाये
मंदिर-मस्जिद में न हो कभी लड़ाई
हिंदू-मुस्लिम बनकर रहें यहाँ भाई-भाई
झूठ, कपट, छल, द्वेष का हो खंडन
हे भारत माता तेरा अभिनन्दन
सुभाष, भगत, बिस्मिल का स्वप्न हो साकार
दीन-दुखी, निबल-बिकल रहे न कोई लाचार
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा