गीत
हानि लाभ की गणना कर लें ;
आ कर लें सब वारे न्यारे !
समय ! फेर दिन सुखद हमारे ।
पल भर मिलन ,मास भर पीड़ा ।
समय! रोक यह निर्मम क्रीड़ा ।
दोष सिद्ध ,तुझ पर भी होगा,
दुखदाता ,सुख के हत्यारे !
समय! फेर………………….
क्या सोचा था,क्या फल पाया ?
गहन हुई पीड़ा की छाया ।
इक झटके में चूर हो गये ,
स्वप्न मेरे थे काँच के सारे ।
समय! फेर………………….
समय ने ली निर्दय अँगड़ाई ।
आँख खोल बैठी तन्हाई ।
मन मरुथल को कब तक सींचें?
नयनों के कमजोर पनारे ।
समय! फेर………………..
कब तक मुझको तड़पायेगा ?
दिन दिन कर तू कट जायेगा !
फिर बसंत तरु मुस्कायेंगे ,
जो तूने पतझार! उजारे ।
समय! फेर…………..
——————-डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी ०२/०६/२०१९