चतुष्पदी
“चतुष्पदी”
वही नाव गाड़ी चढ़ी, जो करती नद पार।
पानी का सब खेल है, सूख गई जलधार।
किया समय से आप ने, वर्षों वर्ष करार-
चढ़ते गए सवार बन, भूले क्यों करतार।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“चतुष्पदी”
वही नाव गाड़ी चढ़ी, जो करती नद पार।
पानी का सब खेल है, सूख गई जलधार।
किया समय से आप ने, वर्षों वर्ष करार-
चढ़ते गए सवार बन, भूले क्यों करतार।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी