अभिनन्दन
अभिनंदन का अभिनंदन है
आदर है स्वागत वंदन है,
जिसने दुश्मन की छाती पर
चढ़कर यह खुल्ला बोल दिया,
जो पाकिस्तान की धरती पर।
जाकरके हल्ला बोल दिया
उस वीर सपूत के चरणों में,
बारंबार ये वन्दन है
अभिनंदन का अभिनंदन है,
आदर है स्वागत वंदन है।
जो दुश्मन के घर में घुसकर
दुष्टों का संहार किया,
जिसने पाकिस्तानी कुत्तों के
ऊपर ऐसा उपकार किया,
जो शहीद हुए हैं वीर सपूत।
उनकी माँओं का क्रंदन है
अभिनंदन का अभिनंदन है,
आदर है स्वागत वंदन है
वो निष्क्षल और निश्चय वादी,
मन में एक अलग ही निष्ठा है।
डूबे जितने अनमोल रतन
उनकी एक अलग प्रतिष्ठा है,
यह कविता लिखता कवि प्रशांत
कलियुग का देवकीनंदन है,
अभिनंदन का अभिनंदन है
आदर है स्वागत वंदन है।
— कवि प्रशान्त मिश्रा