लघुकथा

कर्तव्य एवं अधिकार

मनोज, पापा बहुत बीमार हैं। मुझे जाना होगा।

सुजाता, मम्मी जी की हास्पिटल में सेवा करना तुम्हारा कर्तव्य है।

मनोज , तुम्हें पता है कि मम्मी भाई बहन कोई नहीं है, मम्मी जी के पास तो मनु दीदी भी रह सकती हैं , पापा की सेवा करना मेरा अधिकार है।

सुजाता , मम्मी के स्वस्थ होने पर ही तुम जा सकती हो, पापा अपने मित्रों की सहायता ले सकते हैं।

मनोज, कोई बात नहीं , इस बार पापा को अपने साथ  ही लेकर आऊंगी, ताकि कर्तव्य एवं अधिकार एक साथ निभा सकूँ।

सुजाता , तुम्हारे पापा मेरे घर में नहीं रह सकते।

मनोज , अलग रहकर दोनों की सेवा कर सकती हूँ।

सुजाता, दोनों मतलब ?

श्री मनोज जी , तुम्हारे महल में मेरे पापा के लिए जगह नहीं है, पर मेरी छोटी सी कुटिया में अपने पापा एवं मम्मी जी दोनों के लिए जगह रहेगी कर्तव्य एवं अधिकार एक साथ निभाने के लिए।

— दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी