दो बातें
“रानी तुझे कितनी बार कहा कि तु ज्यादा समय ऑनलाइन मत रहा कर । लोग इसका अर्थ गलत निकालते है। लोग तेरे लिए कितना कुछ बोल रहे है”।।
“मां , तुम जानती हो कि मैं ऑनलाइन पर काम और अपनी पढाई करती हूँ ।
“रानी यह बात हम जानते है दुनिया नहीं । किस किस को तु अपनी सफाई देगी”।
” मां लोगों का क्या है उनका काम है बोलना “।
फोन पर मां अपनी बेटी को गुस्से से बोल रही है।
“” मां, तुम जानती हो कि बडे परिवार का सारा काम समय पर करना,बच्चों को स्कूल छोड़ कर ,बाद मे साफ.सफाई ,कपडें कितने काम है जो मेरे करने के है।अपनी पढाई फेसबुक के ग्रुप मैं करती हूँ ।
थोड़ा समय अपने लिखने के लिए निकाल लिखती हूँ।
मैं अपनी सारी जिम्मेदारी सही समय पर पुरी करती हूँ।
जब कुएँ से मेंढक खुद बाहर निकलने कि कोशिश करता है तो उसके अपने ही उसको खिंच कर नीचे ले आते है।
मां, सुनो आज जो लोग आप को बोल रहे है कल वो ही लोग मेरी सफलता पर आप को बधाइयां देने आयेंगे।
तब आपको अपनी बेटी पर अभिमान होगा ।
लोगों का क्या वो हमेशा दो बात करतें है “”।
चलो अब फोन रखो मुझे शाम की चाय बना बच्चों को पढाई करवानी है”।
मां को बेटी की बात से सुकून मिलता है और मुस्कुराते हुए फोन रख खुद भी काम करने लग गई।
— सारिका औदिच्य