मुक्तक
मुक्तक
मेरे ख्याल की मखमली चादर पर आएं तो कभी
सुकून प्रेम का गहना है रहबर आजमाएं तो कभी
इंतजार पर मौन रहता है दिल आँखें झूठ न बोले
मौसम की हवा में मौसमी लाकर इतराएं तो कभी ।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
मुक्तक
मेरे ख्याल की मखमली चादर पर आएं तो कभी
सुकून प्रेम का गहना है रहबर आजमाएं तो कभी
इंतजार पर मौन रहता है दिल आँखें झूठ न बोले
मौसम की हवा में मौसमी लाकर इतराएं तो कभी ।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी