कविता

सारे हल आज एकजुट थे !!

पापा कोई जादू तो नहीं है
मेरे पास, है तो बस निष्ठा
जो उम्मीद भरी आँखों में
विश्वास और धैर्य की
उँगली थाम के जब चलती है
तो लगता है आप साथ हैं
तो बस मुश्किलें भी घबरा जाती हैं
बुरा वक़्त देकर दस्तक़
लौट जाता है !

एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया था
चुनौतियों ने
परेशानियों को देकर समझाइश भेजा भी
पर सारे हल आज एकजुट थे
इसी निष्ठा से
कोई ना कोई तो
तेरे काम जरूर आएगा
बस मन के दरवाज़े पे
भरोसे की चिटकनी लगा कर रखना
कोई भी परेशानी भीतर प्रवेश न कर सकेगी !!

सीमा सिंघल 'सदा'

जन्म स्थान :* रीवा (मध्यप्रदेश) *शिक्षा :* एम.ए. (राजनीति शास्त्र) *लेखन : *आकाशवाणी रीवा से प्रसारण तो कभी पत्र-पत्रिकाओ में प्रकाशित होते हुए मेरी कवितायेँ आप तक पहुँचती रहीं..सन 2009 से ब्लॉग जगत में ‘सदा’ के नाम से सक्रिय । *काव्य संग्रह : अर्पिता साझा काव्य संकलन, अनुगूंज, शब्दों के अरण्य में, हमारा शहर, बालार्क . *मेरी कलम : सन्नाटा बोलता है जब शब्द जन्म लेते हैं कुछ शब्द उतरते हैं उंगलियों का सहारा लेकर कागज़ की कश्ती में नन्हें कदमों से 'सदा' के लिए ... ब्लॉग : http://sadalikhna.blogspot.in/ ई-मेल : [email protected]