कविता

हाकलि छंद

पितृ दिवस पर प्रस्तुत है हाकलि छंद, आदणीय पिता श्री को सादर प्रणाम एवं सभी मित्रों को हर्षित बधाई, ॐ जय माँ शारदा!

हाकलि छंद

पिता दिवस पर प्रण करें, पीर पराई मिल हरें।
कष्ट न दें निश्चित करें, मातु पिता ममता भरें।
बने पिता की लाठी भी, माता सुख संघाती भी।
पूत कपूत नहिं हो हरे, पिता वृक्ष वट खूब फरे।।

पिता दिवस अरमानों का, रीति रिवाज पुरानों का।
माता नाम निदानों का, ममता अरु बलिदानों का।
बेटा बेटी चाहत के, रिश्ते नाते राहत के।
संस्कार परिधानों का, सेवा भाव ठिकानों का।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ