स्टैंडर्ड एक लघुकथा
‘नितिन, तुम पार्किंग में से गाड़ी लेकर बस स्टैंड के पास आओ, मैं वहीं पहुंचती हूं’ राधिका ने कहा। ‘ठीक है’ कह कर नितिन गाड़ी लेने चला गया। राधिका को जब ज्यादा देर हो गई तो वह पार्किंग में खुद जा पहुंची और देखा कि उनकी गाड़ी के आगे कोई अपनी गाड़ी लगा गया था। वे परेशान हो रहे थे।
इतने में पास के मकान से एक महिला निकली। ‘क्या यह गाड़ी आपके यहां पर किसी की है?’ नितिन का उस महिला से पूछना ही था कि राधिका भड़क उठी ‘आप मेड से पूछ रहे हो, यही स्टैण्डर्ड है आपका?’
नितिन इस ‘स्टैण्डर्ड’ को नहीं समझ पाया और बहुत देर तक शून्य में देखता रह गया। ‘क्या सोच रहे हो?’ राधिका ने पूछा। जवाब में नितिन के चेहरे पर फीकी मुस्कान दिखाई दी।