गीत/नवगीत

कुकुभ छंद (गीत) – बरखा आयी

गरज बरस कर सावन आया, बरखा रानी सँग आयी ।
ओस  बूंद  झूले  वसुधा पर , तरुवर  ऊपर  तरुणाई ।
नदिया ,सागर  ,लहरें , झरने , दीवाने  से  लगते  हैं ।
नीम  तले  दो  अंजाने  भी , तो  अपने  से लगते हैं ।
महक रही हैं गीली साँसें ,रुत मिलने की है आयी ।
ओस बूंद खेले वसुधा पर ,तरुवर ऊपर तरुणाई ।।
अम्बर और धरा  का रिश्ता ,जुड़ा हुआ है सदियों से ।
श्याम घटाएं भी घिर कर  कुछ ,तो बतियाती नदिया से ।
छम- छपाक कर मैं भी नाचूँ ,जैसे नाचे बदराई ।।
ओस बूंद खेले वसुधा पर ,तरुवर ऊपर तरुणाई ।।
रीना गोयल ( हरियाणा)

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर