मेरा दर्द
आज उमड़ती करूण कहानी,
जीवन की वह मधुर कहानी।
प्रथम उमर के वे मधु गायन,
मुझमें आज तिरोहित ।
नव आशाएं जीवन भावन ,
मुझको करती मोहित।
उमड़े जैसे नभ में सावन
करके मधुमय क्रीड़ा।
जाने क्यों है आज सताती,
मुझको भी कुछ पीड़ा।
उड़ता है मानस में अब भी,
तेरा वह आंचल प्रिय धांनी।
मुझको लगता है अब सूना,
यह संसार सुहावन।
तुमको लगता है सरले,
सुखदायी या पावन।
मुझको काल ग्रसित कर जाए,
पर तुम करो न चिन्तन।
तुमको क्या कुछ प्यास लगेगी,
जिसके उर में वर्षा पानी।
— कालिका प्रसाद सेमवाल