बहुत अच्छा है कि खूबियाँ साथ ले के चलो
बहुत अच्छा है कि खूबियाँ साथ ले के चलो
मज़ा तो तब है कि खामियाँ भी साथ ले के चलो
कामयाबी की तफ़्तीश पूरी नहीं हो सकती
हो सके तो नाक़ामियाँ भी साथ ले के चलो
नामदार होने का लुत्फ भी तभी है मियाँ
जब कुछ बदनामियाँ भी साथ ले के चलो
बेकार हैं जब बातें सिर्फ अपने हिस्से की हों
ज़माने में दूसरों की हामियाँ भी साथ ले के चलो
— सलिल सरोज