गीत
“गीत” आंचलिक पुट
मोरे अँगने में है तुलसी का चौरा
एक पेड़ नीम संग आम खूब बौरा
अड़हुल का फूल लाल केसर कियारी
मगही के पतवा तुराये भरि दौरा…..मोरे अँगने में
गाय संग कुकुरा के रोज रोज कौरा
धूल और माटी में खेले चंचल छौरा
गैया के गोबर भल घास दूब मोथा
बगिया फुलाए पै उड़े लागल भौंरा…..मोरे अँगने में
होखे जब ओसवनी तब मारे लोग बौंरा
देह खजुआये मानों धइले बा खौरा
जामुन के डारि अरु कोयल की बोली
लाल पीयरि चुनरी लट आँख कजरौरा…..मोरे अँगने में
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी