व्यंग्य : कहीं मनसूना ना कर दे मानसून…!!
आजकल अखबार पढ़ते हुए हर शख्स केवल मानसून के आने की और झमाझम बारिश की खबर पढ़ने के लिए उत्सुक दिखाई दे रहा है,लेकिन यह मानसून भी ‘मन सूना’ करने पर तुला है।जिस तरह अब के बरस यह मानसून निर्धारित समय से देरी पर देरी किए जा रहा है।मुझे तो यह मानसून भारतीय रेल से बेहद प्रभावित लग रहा है।वहीं भारतीय मौसम विभाग भी लगातार मानसून को लेकर घोषणाएं किये जा रहा है कहीं यह घोषणाएं भी ‘अच्छे दिन’ वाली घोषणाओं की तरह ना हों।लेकिन मौसम विभाग का इसमें कोई कसूर भी नहीं है,उन बेचारों को मौसम के बारे में उतनी ही जानकारी है,जितनी पठानकोट आतंकी हमले को लेकर ”भारतीय गुप्तचर विभाग” को थी। मानसून जितनी देरी से आयेगा उतनी मौसम के साथ ही राजनीतिक उमस बढ़ती जायेगी।विपक्ष तो यह भी आरोप लगा सकता है कि सत्तापक्ष जानबूझकर मानसून से देरी करा रहा है ताकि बारिश की वजह से चोक हो चुकी नालियों के कारण सरकार की पोल ना खुल जाये, सरकार अगर चाहे तो हवाई सेवा के माध्यम से भी मानसून को शीघ्र लाने का काम कर सकती है पर सरकार चाहती ही नहीं क्योंकि ये सब आपस में मिले हुए हैं।मौसम के बारे में उतनी विस्तार से जानकारी तो मौसम विभाग भी नही दे पाता….,,जितनी विस्तार से मोहल्ले के किसी चाय वाले की दुकान पर बैठे दस ‘नकारा टाइप’ के लोग दे देते हैं।इनकी खुद की आर्थिक स्थिति भले ऐसी हो कि मोहल्ले का बनिया एक बट्टी साबुन उधार नहीं देता हो।लेकिन मानसून के विलंब से आने का देश की आर्थिक स्थिति पर क्या दुष्प्रभाव पडे़गा ये इनसे पूछिए…
चायवाला भी खामोशी के साथ मानसून पर लेक्चर केवल सुन रहा होता है क्योंकि हर चाय वाले को ‘फेंकने’ की आदत नहीं होती।
अच्छे मानसून से बेचारे किसानों को लाभ हो ना हो लेकिन सरकार और बिचौलियों को खाद बीज की कालाबाजारी में लाभ ही लाभ होता है।मानसून के सही समय पर आने पर तथाकथित समाजसेवियों का प्रकृति प्रेमियों का प्रकृति प्रेम किसी नाले की तरह उफान ले उठता है,,वृक्षारोपण का अभियान चला कर एक पौधे के साथ दो दर्जन लोग फोटो खिंचवाने के बाद अखबार में दे देते हैं…..। पिछले साल रोपे गये पौधे का प्रगति पत्रक बस इनसे मत मांगिए। हर वर्ष सुर्खियों में आने का यह इनका अपना तरीका है।भारी बारिश के दौरान बही सड़कें,पुलिया रपटा स्टाम डैम ऐसी खबरें भ्रष्ट ठेकेदारों के लिए रोजगार मुहैया कराती हैं।प्रेमी युगल भी मानसून का बेसब्री से इंतजार कर रहा होता है झमाझम बारिश हो इसीलिए प्रेमी युगल बालीवुड फिल्मों के मानसून स्पेशल गीतों का बढ़िया सा क्लेक्शन अपने मोबाइल पर रख लेता है,जिनमें “पहली बारिश मैं और तू” ‘मेरी छतरी के नीचे आजा क्यों भींगे कमला खडी़-खडी़’ “लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है” ऐसे गीत प्रमुख हैं। मुझे जैसे व्यंग्यकार, लेखकों को भी मानसून स्पेशल,डेंगू,मौसमी बिमारियां आदि पर लेख लिखने का अवसर मिल जाता है। संपादक महोदय दया करते हुए प्रकाशित भी कर दिया करते हैं। मानसून से सभी को फायदा ही फायदा है तो सब
दुआ करिये कि अच्छे से मानसून आये,
किसी का मन सूना करके ना जाये।
— आशीष तिवारी निर्मल