उम्मीद
दीप प्रेम का नहीं बुझा है ,मन में आस अभी बाकी है ।
भले छुप गया दिनकर नभ में ,पर विश्वास अभी बाकी है ।
माना फीका हुआ व्योम यह ,रंग उतरने लगे धरा के ।
हुआ अचेतन मन हर क्षण में , मौन हुए सभी स्वर स्वरा के ।
पतझर जैसे जीवन में भी ,कुछ मधुमास अभी बाकी है ।
भले छुप गया दिनकर नभ में ,पर विश्वास अभी बाकी है ।
अविचल,अलख निरजंन मन पर ,क्यों भटका बनकर अज्ञानी ।
हुआ मलिन क्यों बूँद- बूँद पी ,अमृतमय गागर का पानी ।
पग पग पर है प्रभु की छाया ,यह अहसास अभी बाकी है ।
भले छुप गया दिनकर नभ में ,पर विश्वास अभी बाकी है ।
— रीना गोयल