गीत/नवगीत

ज़ज्बात की होली

‘वो’ आज मेरे प्यार की बोली लगा गए
दौलत से मेरे ज़ज्बात की होली जला गए
वो आज मेरे प्यार की बोली लगा गए !

ख़ुशी थी साथ अपने , हर लम्हा खुशनुमा था
पर आज’वो’ हर एहसास की कश्ती डूबा गए
दौलत से मेरे ज़ज्बात की होली जला गए !
‘वो’ आज मेरे प्यार की बोली लगा गए !

उस प्यार पे यंकी था और सपना भी रंगी था
पर आज’वो’ उस ख्वाब की समां बुझा गए
दौलत से मेरे ज़ज्बात की होली जला गए !
‘वो’ आज मेरे प्यार की बोली लगा गए !

ग़म में भी मुस्कुराई अश्कों को की पराई
पर आज’वो’ मेरे मुस्कान पे ताला लगा गए
दौलत से मेरे ज़ज्बात की होली जला गए !
‘वो’ आज मेरे प्यार की बोली लगा गए !

उल्फत के डगर में अब है साथ नहीं कोई
‘वो’ मेरे हर अंदाज की अर्थी उठा गए
दौलत से मेरे ज़ज्बात की होली जला गए !
‘वो’ आज मेरे प्यार की बोली लगा गए !

पुष्पा गुप्ता

एम. ए. ( राजनीति विज्ञान ) बी. एड. मैं राजनीति और नारी जीवन से संबंधित कविताएँ लिखने में खास रूचि रखती हूं। अपनी कविताओं के माध्यम से ये संदेश देना चाहती हूँ कि किसी भी राष्ट्र के समुचित विकास के लिए नारी का योगदान अत्यावश्यक है। समाज में उस परिवर्तन की आकांक्षी हूं जहां नारी को अबला नहीं सबला समझा जाए। परिवार से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक नारी को वो सम्मान मिले जिसकी वो हकदार है। जय हिंद, जय भारत वंदे मातरम् आवास-दिल्ली मेल आई डी - [email protected]