डाॅक्टर आए
कीट पकड़ कर डाॅक्टर आए ।
मुझे देख कर वो मुस्कुराकाए ।
छुए हाथ और छुए माथा ,
बुखार होने की बात बताए ।
सर्दी है तुझे और खाँसी भी ,
बड़े प्यार से मुझे समझाए ।
गर्म खाना और गर्म पानी ,
हाथ धोने की राज बताए ।
हल्के से वो सुई लगा कर ,
गोली खिलाए , सीरप पिलाए ।
मुझे रोता देख डाॅक्टर अंकल ,
खुद हँसे और मुझे हँसाए ।
— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”