खूबसूरत गुलदस्ता “क़ैफियत”
साहित्याकाश में अत्यंत वेग से घूमता सुप्रसिद्ध.. खूबसूरत लेखनी की धनिका.. लेखिका रेणू वर्मा का प्रथम ग़ज़ल सन्ग्रह “कैफ़ियत” जिन्हें मैं दूसरा नाम दूंगा प्राणों का संगीत। लेखिका ने अपने जीवन के अनगिनत अनुभवों को सहेजकर… बेहद खूबसूरत ग़ज़लो से भरे गुलदस्ते का नाम दिया “कैफियत”। वैसे तो ग़ज़ल दो लफ़्जो की कहानी हैं। मगर जब रेणू वर्मा ने ग़ज़ले लिखी तो लगा सचमुच ग़ज़ले तो जीवन भर की कहानी हैं।
लेखिका ने कितना खूबसूरत कहा हैं-
आँख रोती हैं हँसती हैं महफ़िल
क्या ग़ज़ल में भी बेबसी कम हैं।
मैं भी करती हूँ इबादत तेरी औरो की तरह
ऐ खुदा मेरे भी ख्वाबो को हक़ीक़त करना।
सभी ग़ज़ले कितनी खूबसूरती से लिखी हैं मानो एक आराधना की माला…जिसके चमकते मोतियो में अपने प्रिय के प्रति अथाह प्रेम।
कहते हैं-
करते हैं प्यार जो इबादत सा
इश्क वो बे मिसाल करते हैं।
इस जीवन भर की कहानी में तमाम तरह की खट्टी मीठी सी यादे जुड़ी हुई हैं। लेखिका को प्रकृति से बेहद लगाव हैं तो साथ ही पशु पक्षियों के प्रति बेहद प्रेम।
कहते हैं-
कैद के बाद वो परिन्दों को
अब परों का ख्याल करते हैं।
लेखिका के दिल की ख्वाहिश हैं कि परिंदे कैदी ना हो वो खुलकर आंसमा में उड़े अपने उड़ानों से आंसमा नापे। वो झूलते पेड़ो पर बैठे साथ टेर मिलाकर गाये। इन ख्वाहिशो में कितना प्रेम हैं सचमुच लेखिका रेणू वर्मा “महादेवी वर्मा” का दूसरा रूप हैं। जितना ही प्रेम महादेवी जी को पशु पक्षियों के प्रति था। उनका उठना,बैठना,सोना,लिखना और सह जीवन जीना सबकुछ इस मासूम परिंदों के साथ जिनकी आँखों में सिर्फ और सिर्फ नि:स्वार्थ प्रेम हैं।
लेखिका ने अपनी नई नस्ल को सभ्यता संस्कृति की दुनिया बनाने का मशवरा दिया हैं। तहजीब जिंदा हैं तो हम सब जिंदा हैं… कहते हैं-
आज की नस्ल तो गुस्ताख़ बहुत दिखती हैं
इसको तहजीब बुजुर्गों की सिखाई जाए।
लेखिका संग रहने को जीवन कहती हैं…परिस्थितियां हर समय समान नही होती। मगर यदि सफर का साथी साथ रहें तो जीवन में कठिनाईयो का डटकर सामना करने में हौसला अफ़जाई होता हैं और जीवन उमंग का दूसरा नाम बनकर प्रफुल्लित होता हैं। कहते हैं:-
साथ दिल के अगर हँसे ‘रेणू’
दर्द खुद से बदल ही जाता हैं
लेखिका के लिए शायरी “जूनून” का दूसरा नाम। यदि जीवन को नवीन आयाम देना हैं तो कोई भी दूसरी चीजें ख़लल पैदा नहीं कर सकती। और यदि हो भी तो जूनून उनको दबोचने का काम करता हैं। ये संग्रह आत्मा से आत्मा का साक्षात्कार करवाता हैं साथ ही भविष्य के वर्तमान की तलाश।
कहते हैं-
आइनों की बिसात हैं कितनी
आज हम भी संवर के देखेंगे।
लेखिका हिम्मत और दुआओ के हवाले से कहते हैं-
हिम्मतें हो अगर उड़ानों में
फिर तो ये आसमान हैं उसका
जो दुआओं से जीत ले ‘रेणू’
फिर तो सारा जहान हैं उसका।
लेखिका ने मोहब्बत के हवाले से एक शिकायत भी कितनी खूबसूरती से दर्ज की हैं आप कहते हैं-
भूलने का इरादा मत करना
इश्क़ का तुम तमाशा मत करना
जिसने रब सा ही तुझको चाहा हैं
उसकी राहों को छोड़ा मत करना।
लेखिका अपने प्रिय की यादों को संजोते हुए कहते हैं-
याद को तेरी यूं संजोती हूँ
ज्यूँ हथेली का कोई छाला हैं।
एक कमी ज़ेहन में खल रही थी वह भी पूरी हो गयी। की बेटियों के लिये क्या लिखा गया? लेखिका ने लिखा कि क्या कहूँ कितनी भली हैं बेटी-
रोज़ आई हैं सुनामी की लहरें
रोज़ तूफां से लड़ी हैं बेटी
उन रिवाज़ो को जला देंगे
जिन रिवाजो से मरी हैं बेटी
आज फिर आसमाँ झुक जाएगा
आज फिर ज़िद पे अड़ी हैं बेटी
प्रेम जीवन में उजाले का काम करता हैं। राह दिखाता हैं। यह सब दौलत से बेशकीमती हैं इसीलिए तो रेणू जी ने कितना खूबसूरती से कहा हैं-
नाम तेरा ही मुझको काफ़ी हैं
मेरे हिस्से का ये उजाला हैं।
आपका मिलना मेरी किस्मत हैं
उम्र भर की मेरी ये दौलत हैं।
लेखिका की चाहत हैं कि समूचे ब्रह्याण्ड में प्रेम हो… विश्वास हो। उसी शाश्वत प्रेम के भीतर एक खूबसूरत जहाँ देखते हैं जिसमें सभी मुस्कुराते रहें….कहते हैं-
प्यार से प्यार मुस्कुराने दो
खूबसूरत जहाँ बनाने दो।
प्रेम आजाद पंछी की तरह होता हैं…मगर तितली का फूलो से दूर रहना भी तो अच्छा नही हैं वो फूलो के साथ रहें उनकी गुंजन से फूल महके। उसी महक में लिपटकर लेखिका अपने प्रिय को कहते हैं-
फूल पे तितली जैसे बैठी हैं
तुम भी ऐसे हमे गुलाम करों।
लेखिका के प्रेम में पपीहे की पुकार भी हैं वही पपीहा जो इंद्र से बरखा की गुहार करता हैं और इंद्र उनकी मधुरता और विनम्रता के समक्ष नतमस्तक होकर धरा की तपिश को ठण्डक देता हैं। इससे अच्छी प्रेम की क्या परिभाषा होगी। जब अपनी प्रेमिका को चाँद कहे तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना ना होगा। यूँ ही लगता हैं कि दुनिया का एक मात्र चाँद हूँ मैं सच में ये ख्वाहिश कितनी खूबसूरत हैं तो प्रिय चाँद कितना खूबसूरत होगा। कहते हैं-
तू पपीहे सा मुझको पुकारा करें
चाँद मुझको भी अपना बना दे कभी।
लेखिका रेणू वर्मा का ये प्रथम प्रसिद्ध ग़ज़ल सन्ग्रह…सजा सुमनों से सौरभ हार “कैफियत” साहित्याकाश में नई किरणे फैलाकर रौशनी देगा। खूब खूब बधाईया…अशेष शुभकामनाए…शुभमस्तु।
लेखिका- रेणू वर्मा
पुस्तक- कैफ़ियत (प्रथम ग़ज़ल सन्ग्रह)
प्रकाशक- बोधि प्रकाशन
संस्करण- अप्रैल,2018
मूल्य- 175/-
आवरण छाया चित्र-मणि मोहन मेहता
समीक्षक लेखक- जालाराम चौधरी