जहर पीने की बुरी आदत है मेरी
मिरी अच्छाई ही मुसीबत है मेरी
जहर पीने की बुरी आदत है मेरी
मेरी आहों को अहसास बना लेता
किसी खुदा की अब चाहत है मुझे
दुश्मनों को साथ लिए फिरते हैं
आले दर्जे की मोहब्बत है मेरी
जो मिलता है, अपना लगता है
फरिश्तों की ही सोहबत है मेरी
रईसी से खूबसूरत ग़ुरबत है मेरी
सच मानिए यही हक़ीक़त है मेरी
— सलिल सरोज