इंतजार
पल-पल किया इंतजार
सदियों से बीते क्षण-क्षण
कर-कर इंतजार
पतझड़ भी बीत गया |
आ गया सावन
मन भावन
तुम मिलो प्रिये…
इस तरह
टूटे न मिलन का सिलसिला |
तेरे इंतजार में,
बर्बाद हुआ योवन
सपने, सपने बनकर रह गये
हकीकत से हुआ न सामना
कितनी बीती बरसातें
कोरी-कोरी रातें |
किया भरोसा
टूटी न आशा
पर तुम न समझे सम्बन्धों की परिभाषा
सहकर हर उतार-चढ़ाव
छलनी हो गया सीना
मत पूछो मेरा जीना
मर-मर कर जीना |
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा