मुक्तक/दोहा

मुक्तक

सफर यूँ ही अपना ये चलता रहे
चेहरा खुशियों से तेरा ये खिलता रहे
साथ देना हमेशा ही तुम यूँ मेरा
चाहे जितनी भी झंझावात होती रहे
एक पल भी जुदा जो तू मुझसे रहे
सांसे टूटे मेरी और ये तन न रहे।
गुनाह जो किया है अनजान में
आंसू बहते हैं ये भी तो रुक न करे
जीवन में कभी तू नाराज न होना
नहीं चाहती हूं कभी तुझको खोना
प्यार की रसधारा यूँ ही बहती रहे
भर दूँ प्यार से तेरे दिल का हर कोना

सुषमा पाण्डेय

सीतापुर उत्तर प्रदेश