उठो आर्य
उठो आर्य के श्रेष्ठ मनुज, अपना अंतर्मन खोलो
भारत के भवितव्य आज, अपने मुख से तो बोलो।
तुम राम कृष्ण के वंशज , राणा प्रताप की शान हो,
मां दुर्गा के शक्ति उपासक, सीता सावित्री के लाल हो।
भारत मां के अमर सपूत , क्यों भूल गए हो अपने को?
नैतिकता का क्षरण हो रहा, क्यों भूल रहे हो मूल्यों को?
वसुधैव कुटुम्बकम के वाहक, यह भाव पुनः अपनाओ,
मातृवत परदारेषु सूक्ति को, हृदय पटल में प्रकटाओ।
धर्म, संस्कृति के पालक बन, निज गौरव को प्राप्त करो,
सत्य सनातन परम्परा को, विश्व पटल पर अखिल करो
मानवता के प्रतिपालक हो, संवेग मार्ग पर अडिग रहो,
बाधाएं तुम्हे डिगा न सकें, निश्चय हो पथ पर अटल रहो
धीर, वीर, गम्भीर बनो, साहस, सम्बल के अनुकूल बनो
नेतृत्व, शील, गुण, तेज धारो, पौरुष, बल, सम्पन्न बनो।
सद्चरित्र गढ़े जाएं प्रतिपल, नैतिक मूल्यों का वर्धन हो,
भारत फिर से विश्व गुरू हो, जगती में मंगल समृद्धि हो।